युवावस्था के वर्ष-क्रमागत



अस्पताल के कमरे में अंधकार बढ़ने लगा जैसे कि मैं मानो घने जंगल में हूं। मैं हवा को पत्तियों में से बहते हुए सुन सकता था, फिर भी ऐसा प्रतीत हुआ जंगल में बड़े रास्ते पर से मैं हट गया हूं। सम्भवतः आपने पत्तियों में बहती हुई हवा के झोके को सुना होगा जो कि आपके पास और पास आता जाता है। मैंने सोचा, “यह मृत्यु मुझे लेने आ रही है।“ ओह! मेरा प्राण परमेश्‍वर से मिलने वाला था, मैंने प्रार्थना करने का यत्न किया, परन्तु नहीं कर सका।

हवा जोर से और जोर से पास आ रही है, पत्तियां एक दम से फड़फडाने लगी मैं चला गया था।

तब मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि मैं फिर से एक नंगे पैर छोटा लड़का उसी पथ पर उसी पेड़ के नीचे खड़ा हूं। मैंने फिर वही आवाज सुनी जिसने कहा था, “कभी ना शराब पीना ना धूम्रपान करना,” और पत्तियां जिनकी आवाज सुनी वही थी, जो उस दिन उस पेड़ पर हवा से फड़फडाई थी।

परन्तु इस बार आवाज ने कहा, “मैंने तुझे बुलाया और तू नहीं जायेगा,” उसने इसे तीसरी बार दोहराया।

तब मैंने कहा, “प्रभु यदि यह तू है, तो मुझे फिर से धरती पर वापस जाने दे और मैं तेरा सुसमाचार घर की छत से सड़क के कोने से प्रचार करूंगा। मैं हर एक को इसके विषय में बताऊंगा!“

जब यह दर्शन चला गया, मैंने पाया कि मैंने कभी भी अच्छा अनुभव नहीं किया। मेरा ऑपरेशन करने वाला डॉक्टर अब भी अस्पताल में था। वह आया और उसने मुझे देखा और आश्चर्य चकित हो गया। उसने मुझे ऐसे देखा, जैसे कि मैं मरा हुआ हूं, तब उसने कहा, “मैं आराधनालय जाने वाला व्यक्ति नहीं हूं, मेरा (प्रेक्टिस) कार्य अभ्यास बहुत ज्यादा है। परन्तु मैं जानता हूं कि परमेश्‍वर ने इस लड़के पर दृष्टी की है,” उसने ऐसा क्यों कहा, मैं नही जानता। किसी ने इस विषय में कुछ नहीं कहा। यदि यह मुझे मालूम होता, तो मैं अब भी यह जानता हूं कि मैं उस पलंग पर से उठते हुए चिल्लाता, उसके नाम की महिमा करता।

कुछ दिनों के बाद, मुझे घर जाने को कह दिया गया, परन्तु मैं अब भी बीमार था, और मुझे अपनी आंखों पर उस दृष्टी वैषम्य के कारण चश्मा लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मेरा सिर हिलता, जब मैं किसी चीज को क्षण भर के लिए देखता।

मैंने परमेश्‍वर को ढूंढना शुरू कर दिया, मैं कलीसिया से कलीसिया आने-जाने लगा। एक स्थान ढूंढने को यत्न करने लगा, जहां पर पुराने समय की तरह, वेदी की बुलाहट होती हो। दुख की बात यह है कि मैं एक भी ऐसा स्थान को नही पा सका।

मैंने कहा यदि मैं कभी भी एक मसीही हुआ, तो मैं वास्तव में एक मसीह होऊंगा। एक सेवक ने मुझे जब यह टिप्पणी करते सुना, बोला, “अब, बिली लड़के, तो तुम कट्टरपन में होने जा रहे हो,” मैंने कहा यदि कभी मेरे पास धर्म हुआ तो जब यह आयेगा तो मैं उसे अनुभव करना चाहता हूं जैसा कि चेलो ने किया।

ओह, उसके नाम की महिमा हो। बाद में मुझे वह धर्म प्राप्त हुआ, और वह अब भी मेरे पास है और उसकी सहायता से, मैं इसे सदा बनाये रखूंगा।

एक रात्रि, मैं परमेश्‍वर के लिए बहुत भूखा हो गया और एक वास्तविक अनुभव, कि मैं पिछवाडे घर के छप्पर के नीचे चला गया और प्रार्थना करने की कोशिश करने लगा। मुझे नहीं मालूम कि मैं प्रार्थना कैसे करू और इसलिए मैं बस उससे बातें करने लगा जैसे कि मैं किसी से भी बात करता हूं। एक दम से वहां छप्पर (शेड) के नीचे ज्योति आयी और एक सलीब बना दी, और उस सलीब में से एक आवाज मुझ से बोली, जिसे मैं नहीं समझ सका। फिर वह चली गई। मैं सतब्ध रह गया। जब मैं फिर अपने आपे में आया, मैंने प्रार्थना की “प्रभु यदि यह आप ही थे,तो कृपया आये और मुझ से फिर बात करे।“ जब से मैं अस्पताल से घर आया था, मैं बाइबल पढ़ा करता था और मैंने पहला यूहन्ना 4 में पढ़ा “प्रियो हर आत्मा का विश्‍वास ना करो, परन्तु उन्हें परखो कि वे परमेश्‍वर की ओर से हैं।“

मुझे मालूम था कि एक आत्मा मुझ पर प्रगट हुआ है, और जैसे ही मैंने प्रार्थना की, यह फिर से प्रगट हुआ है। तब मुझे यह प्रतीत हुआ कि मेरे प्राण पर से हजारो पौण्ड का वजन हट गया। मैं कूदा और घर कि तरफ भागा और ऐसा लग रहा था मैं हवा में भाग रहा हूं।

मां ने पूछा, “बिली तुम्हें क्या हुआ?” मैंने उत्तर दिया, “मुझे नहीं मालूम परन्तु मैं निश्‍चित हूं, मुझे बहुत अच्छा और हल्का लग रहा है।“ फिर मैं घर में नहीं टिक सका, मैं बाहर निकल कर भागने लगा।

तब मैं जान गया यदि परमेश्‍वर मुझ से प्रचार करवाना चाहता है, तो वह मुझे चंगा कर देगा। इसलिए मैं एक आराधनालय में गया, जो तेल से अभीषेक करने में विश्‍वास करते थे और मैं तुरन्त ही ठीक हो गया। मैंने देखा कि उन चेलो के पास कुछ था, जो कि आज बहुत से सेवकों के पास नही है। चेलो का पवित्र आत्मा के द्वारा बपतिस्मा हुआ था, इसलिए बीमार चंगे हो सकते थे और उसके नाम से बड़े-बड़े आश्चर्यकर्म कर सकते थे। इसलिए मैंने पवित्रआत्मा के बपतिस्में के लिए प्रार्थना करनी आरम्भ कर दी और यह मिल गया।

एक दिन, लगभग छः महीने बाद, परमेश्‍वर ने मुझे मेरे हृदय की इच्छा दे दी। वह मुझ से एक बड़ी ज्योति में बोला, मुझ से कहने लगा जा कर प्रचार कर और बीमारों के लिए प्रार्थना कर और वह चाहे जो बीमारी हो उन्हें चंगा करेगा। मैंने प्रचार करना आरम्भ कर दिया और जो उसने मुझ से कहा, इसे करना आरम्भ कर दो। ओह मित्र, मैं आपको क्या-क्या हुआ, बताना शुरू नही कर सकता, अंधो की आंखे खुल गई, लंगड़े चल पड़े। कैंसर ठीक हो गये, और सब प्रकार के आश्चर्यकर्म किए गए।

एक दिन, दो सप्ताह की बेदारी के बाद फुट स्प्रिग स्ट्रीट, जैफसनविले, इन्यिाना में, मैं 130 लोगों को बपतिस्मा दे रहा था, यह गर्म अगस्त का दिन था, और वहां लगभग 3000 लोग उपस्थित थे। मैं 17 वें व्यक्ति को बपतिस्मा देने वाला था, तब अचानक से, मैंने वह शांत सी छोटी आवाज फिर से सुनी और इसने कहा, “ऊपर देखो” आकाश उस अगस्त के दिन में बिल्कुल साफ था, पिछले तीन सप्ताह से कोई वर्षा नहीं हुई थी। मैंने फिर से आवाज को सुना और फिर तीसरी बार इसने कहा, “ऊपर देखो।“

मैंने ऊपर देखा, वहां आकाश में एक बड़ा चमकता तारा, जिसे मैंने पहले, बहुत बार देखा था, परन्तु इसके विषय में मैंने आपको नहीं बताया। बहुत सी बार मैंने लोगों को बताया कि यह प्रगट हुआ तो वे बस, हंसते और कहते, “बिल तुम यह कल्पना कर रहे हो या हो सकता है तुम्हें स्वप्न दिखाई दे रहा था।“ परन्तु परमेश्‍वर की महिमा हो, इस बार उसने स्वयं को प्रगट रूप में सबको दिखा दिया, क्योंकि यह मेरे इतने समीप आ गया कि यहां तक की मैं बोल भी ना सका। कुछ क्षणों के बाद मैं चिल्लाया और बहुत से लोगों ने मेरे ऊपर सितारे को देखा। कुछ बेहोश हो गये, दूसरे चिल्लाने लगे और कुछ दूसरे भाग गये। तब सितारा वापस आकाश में चला गया और वह स्थान जहां से वह गया, लगभग 15 वर्ग फूट का था और इस स्थान में हिलावट होती रही और हिलावट होती रही जैसे कि लहरे हिचकोले मार रही थी। वहां उस स्थान पर एक छोटा बादल बन गया, और यह सितारा इस छोटे से बादल में समा गया।

जैसे, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला, यह भविष्यव्यक्ता बपतिस्मे के जल में प्रमाणित किया गया।