आरम्भ



“जब मैं वहां केन्टकी के छोटे से झोपड़े में जन्मा प्रभु का स्वर्गदूत खिड़की में से आकर वहां खड़ा हो गया। वहां एक अग्नि का स्तम्भ था।”

अप्रैल के आकाश में भोर ने अंधेरे की ठंडक को भेदना आरंभ कर दिया था। एक ही लकड़ी की खिड़की ऊपर खींच कर खुलती थी। जिससे भोर का उजियाला उस छोटे से कमरे में आ जाये। आज की सुबह खिड़की के सामने एक छोटी सी रोबिन बहुत ही विशेष उत्तेजित लग रही थी, और अपने पुरे दम से गा रही थी। झोपड़े के अन्दर नौजवान चाल्स ब्रन्हम अपनी नई पेंट की जेब अपने हाथ डाले खड़े थे, और अपनी 15 वर्षीय पत्नी को देखा, “हम इसका नाम विलीयम बुलायेंगे,” पिता ने कहा।

खिड़की में से आलौकिक ज्योति आयी और वो ज्योति सारे कमरे में घुमने लगी, और पलंग पर मंडराने लगी, जहाँ पर बालक ने तभी जन्म लिया था, यह वही ज्योति थी, जो इस्राएलियो को मिस्त्र से बाहर निकल कर लायी थी, यह वही ज्योति थी जिसने दाश्मिक जाते हुए पौलुस से भेंट की थी। और यह उस छोटे बालक की अगुवाई करेगा, जो इस संसार में से मसीही की दुल्हन को बुलायेगा। वो ज्योति प्रभु के दूत को छोड़ और कुछ नही नही था। वह अग्नि का स्तम्भ और वो एक बार फिर, यह मनुष्य पर प्रगट हुआ।

और वहां इस छोटे लकड़ी के कमरे में उस प्रात: अप्रैल के छठे दिन, दाई ने खिड़की खोली ताकि उजियाला अन्दर आ सके और माँ और पिता देख सके कि मैं कैसा दिखता हूं। तब एक ज्योति तकीये जितनी बड़ी घुमती हुई खिड़की से अन्दर आयी, जहाँ पर मैं था, वहां घूमी और पलंग पर आ गयी। वहां पर बहुत से पहाड़ी के लोग खड़े थे, वे चिल्ला रहे थे।

वो मामूली सा घर पहाड़ी में केन्टकी के दक्षिण में था, एक छोटे नगर बरकसविले के पास। तारीख, 6 अप्रैल 1909 थी। वो बालक, वे जो आगे जन्म लेने वाले थे, जो चाल्स और ईला से होने वाले थे, उनमें में पहला था।

यह अधिक समय नही हुआ इसके पहले कि प्रभु, युवा विलीयम ब्रन्हम से मिलने फिर से आया।

जब एक बालक ही था, स्वर्गदूत उससे यह कहते हुए मिला कि वह अपने जीवन में न्यू अल्बनी नगर के पास जीवन बितायेंगे। वह घर गया, और अपनी माँ को बताया कि अभी क्या हुआ। किसी भी माँ की तरह उसने इस कहानी की तरफ अधिक ध्यान नही दिया, और उसे लेटा दिया, जिससे उस अधीर बालक को शांत करे। दो वर्षो के बाद उसका परिवार, जेफरसनविले, इंडियाना चला गया, दक्षिण इंडियाना के नगर न्यू अल्बनी से कुछ मील दूर।

कुछ वर्षो के बाद उस स्वर्गदूत ने फिर से उस युवा भविष्यव्यक्ता से बात की। यह दिसम्बर का महिना था, गर्म सूरज की रोशनी के साथ जो की रंगीन शरत की पत्तियों में से आ रही थी। वो लड़का लडखडाता हुआ चल रहा था, क्योंकि वह दो बाल्टी पगडण्डी से होकर ला रहा था। भुट्टे का छिलका उस चोट पर लगे पैर के पंजो पर बांधे हुए था, ताकि उसे मिट्टी से बचा सके। वह सुस्ताने के लिए पेड़ के नीचे बैठ गया, उसकी आँखो से आंसू निकल रहे थे, वह अपने दुर्भाग्य पर रो रहा था, उसके मित्र पास के मछली पकड़ने के स्थान पर आनंद मना रहे थे और यह अपने पिता के लिए पानी भरकर ला रहा था। अचानक से उसके सिर के ऊपर पेड़ पर चक्रवात घुमने लगा। उसने अपनी आँखों को पोंछा और अपने पैर पर खड़ा हो गया, वो हवा में हिलती ही पत्तियों की आवाज को सुन रहा था…परन्तु उधर हवा नही चल रही थी। उसने ऊपर की और देखा और पोपुलर पेड़ की आधे से ज्यादा पत्तियां हिल रही थी, कुछ तो उन सुखी पत्तियों को हवा से उड़ा रहा था।

अचानक से एक आवाज बोली, “शराब या सिगरेट नही पीना या अपने शरीर को किसी भी प्रकार से दूषित नहीं करना, तुम्हारे लिए एक काम को रखा गया है, जब तुम बड़े हो जाओगे।“ सात वर्ष के उस डरे हुए लड़के ने अपनी दोनों बाल्टियो को छोड़कर और वह माँ के पास भाग गया।

जैसे की शमुएल भविष्यव्यक्ता, परमेश्‍वर ने फिर से एक बालक से बात किया।

कुछ सप्ताओ के बाद, वह अपने छोटे भाई के साथ पत्थरों में खेल रहा था। उसके ऊपर एक विचित्र सी अनुभूति हुई, अपनी दृष्टी से ओहियो नदी पर की ओर एक सुन्दर सा पुल देखा, जैसे ही पुल नदी के पार पहुंचा, 16 लोग गिर कर मर गए। इस युवा भविष्यव्यक्ता ने अपना पहला दर्शन देखा। उसने अपनी माँ को बताया और उसने इस बात को लिख कर रखा। वर्षो बाद वे 16 व्यक्ति पुल पर से गिर कर मर गए, जब वो दूसरा पुल लुईसविल और केन्टकी के बीच ओहियो नदी के ऊपर बन रहा था।

प्रभु उसको भविष्य के दर्शन दे रहा था। जैसे की उसने अपने पहले के भविष्यव्यक्ताओ को दिए थे। दर्शन कभी असफल नही होता।