वे युवाअवस्था वर्ष



अपने सारे जीवन भर भाई ब्रन्हम जंगल में रहना चाहते थे। 18 वर्ष की आयु में उसने इंडियाना को उबड़ खाबड़ पहाड़ो पर जाने के लिए छोड़ दिया। वह एरिज़ोना में अधिक समय तक नही रुक सका। इसके पहले वह वापस जाने के लिए बाध्य हो गया था।

एक दिन मैंने निर्णय लिया कि मैंने इस बुलावट से पीछा छुडाने के लिए रास्ता ढूढ लिया। मैं पश्चिम में चारागाहो में काम करने के लिए चला गया था। मित्र, परमेश्‍वर बस इतना ही महान है जितना वह किसी भी स्थान में में रहा है। हो सकता है आपको मेरे अनुभव से लाभ मिले। जब वह आपको बुलाता है तो उसे उत्तर दे।

एक दिन, सितम्बर एक 1927 सुबह में, मैंने अपनी माँ को बताया, मैं एक शिविर वाली यात्रा पर टनल मील पर जा रहा हूं, जो की जेफरसनविले से लगभग 14 मील दूर था, जहाँ मैं उस समय रहा करता था। मैंने एरिजोना यात्रा की योजना पहले ही अपने मित्रो के साथ बना ली थी। जब माँ ने मुझ से यह दो बार सुना, मैं टनल मील में नही था, परन्तु फिनिक्स, एरिजोना में था,परमेश्‍वर के प्रेम से भाग रहा था। कुछ समय के लिए चारागाह का जीवन बहुत अच्छा था, परन्तु संसार के किसी भी सुख की तरह यह जल्द ही पुराना हो गया है। परन्तु, क्या मैं यहाँ, परमेश्‍वर की महिमा हो, कह सकता हूं, यीशु के साथ यह अनुभव हर समय मीठा और मीठा होता चला जा रहा है, और कभी पुराना नही होता। यीशु हमेशा ही सिद्ध शांती और चैन देता है।

कितनी बार मैंने हवा को ऊँचे चीड के पेड़ो में से बहता हुआ सुना है। यह ऐसा प्रतीत हुआ मानो कि मैं उसकी पुकार को जंगल में होते हुए सुन सकता हूं, जो की कह रही हो, “आदम तू कहाँ है?” सितारे इतने समीप थे कि आप उन्हें अपने हाथों से तोड़ सकते है। परमेश्‍वर बहुत ही समीप होता दिख रहा था।

उस क्षेत्र के विषय में एक बात कि रेगिस्तान में की सड़के। यदि आप कभी सड़क से उतर गए, तो आप आसानी से खो जायेंगे। बहुत सी बार पर्यटक रेगिस्तान में छोटा फूल देखते है, और उन्हें तोड़ने के लिए राजमार्ग से हट जाते है। वे रेगिस्तान में भटकते और खो जाते है ओर कभी-कभी प्यास से मर जाते है, ऐसा ही मसीहत की राह में है। परमेश्‍वर का एक राजमार्ग है। उसने इस विषय में यशायाह 35 वे अध्याय में बोला है। “यह पवित्रताई का राज मार्ग है।“ बहुत सी बार संसार का छोटा सा सुख आपको राजमार्ग से हटा देता है। तब आप परमेश्‍वर के साथ अपना अनुभव खो देते हो। उस रेगिस्तान में जब आप खो जाते हैं और वहां कभी-कभी मृग मिरिचिका भी प्रगट होती है। उन लोगों को जो प्यास से मर रहे होते हैं। वह मिरिचिका एक नदी या झील होगी। बहुत सी बार लोग उसके पीछे भागते हैं, और उसमें गिर कर अपने आपको बस गर्म रेत में नहाता हुआ पाते हैं। कभी-कभी शैतान आपको कुछ दिखाता है, जिसे वह कहता है, यह एक अच्छा समय है। यह बस एक मिरिचिका है, यह कुछ जो वास्तविक नहीं है। यदि आप सुनें तो आप अपने आप को अपने सिर पर दुखो के ढ़ेर में पायेंगे। प्रिय पाठको, उसकी ना सुनना। यीशु का विश्‍वास करना जो तुम्हें जीवित जल देता है, और उनको जो भूखे और प्यासे हैं।

एक दिन मुझे घर में चिठ्ठी मिली जिसमें लिखा था कि तुम्हारा भाई बहुत बीमार है। यह एडवर्ड था, मेरे से छोटा। निसन्देह मैंने सोचा यह कोई गम्भीर बात नहीं है। इसलिए मैंने विश्‍वास किया कि ठीक हो जायेगा। परन्तु कुछ समय बाद एक दिन शाम को जब मैं शहर से आ रहा था जैसे कि मैं अपने भोजनालय हाल से हो कर निकला उस चरागाह के लिये, मैंने टेबल पर एक कागज देखा मैंने उसे उठाया, इसमें लिखा था, “बिल उत्तरी चरागाह से वापस आ जाओ बहुत ही जरूरी है।“ इस टिप्पणी को पढ़ने के बाद एक दोस्त और मैं चरागाह पर निकल गये। पहला व्यक्ति जो मुझे मिला एक अकेला शानदार चराने वाला जो चरागाह पर काम करता था। उसका नाम डर्फी था, परन्तु हम उसे ‘पोप’ कह कर बुलाते थे उसके चेहरे पर उदासी छायी हुई थी, जैसे उसने कहा “बिली लड़के, मेरे पास तुम्हारे लिए बुरी खबर है,” उसी समय फोरमैन चलता हुआ आया। उन्होंने मुझे बताया कि अभी-अभी तार आया है। और मुझे मेरे भाई की मृत्यु के विषय में बताया।

प्रिय मित्र, क्षण भर के लिए में जड़ गया। हमारे परिवार में यह पहली मृत्यु थी। परन्तु मैं कहना चाहता हूं, पहली बात मैंने सोचा क्या वह मरने के लिए तैयार ही था। जैसे ही मैं घूमा और मैंने उस पीली प्रेयरी के पार देखा, आंसू मेरे गालों पर बहने लगे, मुझे कैसे याद आया, हमने कैसे मिल कर संघर्ष किया जब हम छोटे लड़के थे, और हमारे लिए यह कितना कठिन था।

हम बहुत थोड़ा खा कर स्कूल गये। पंजे हमारे जूतो से बाहर निकले रहते थे, और हमें पुराने कोट पहनने पड़ते थे। जिनकी गर्दन पर पिन लगी रहती थी, क्योंकि हमारे पास कोई कमीज नहीं होती थी। मुझे याद आया की एक बार मां ने पोपकोर्न, एक डिब्बे में दोपहर के खाने के लिए दिये थे। हम बाकी बच्चों के साथ नहीं खाते थे। हम उनके समान खाना नहीं खा सकते थे, जो वे खाते थे। हम पहाड़ी पर चले जाते और खाते। मुझे याद है वह दिन, हमारे पास पोपकोर्न थे, हमने सोचा यह बढ़िया दावत है। मैं निश्‍चित था कि मैंने अपना हिस्सा ले लिया है, दोपहर से पहले मैं गया और मैंने मुठ्ठी भर उसमेंसे ले लिया था, इसके पहले कि मेरा भाई अपना हिस्सा लेता।

मैं वहां खड़ा हुआ देख रहा था कि सूरज ने प्रयरी को झुलसा दिया, मैंने इन सब बातों को याद किया और आश्चर्य चकित था, यदि परमेश्‍वर उसे इससे अच्छी जगह ले गया। तब फिर परमेश्‍वर ने मुझे बुलाया, परन्तु जैसा कि अक्सर, मैंने इससे संघर्ष करने की कोशिश की।

मैंने अन्तेष्टी के लिए, घर जाने की तैयारी कर ली। जब आदर्णिय मैकिंग पोर्ट फोल्टन चर्च के, वह व्यक्ति जो मेरे पिता समान था, उसने अन्तिम संस्कार पर प्रचार किया, उसने कहा, “हो सकता है यहां बहुत से हो जो परमेश्‍वर को नहीं जानते, यदि ऐसा है, तो उसे अभी स्वीकार कर ले,” और ओह मैंने कैसे अपनी कुर्सी को पकड़ लिया, परमेश्‍वर मुझ से फिर व्यवहार कर रहा था। प्रिय पाठक, जब वह बुलाये तो उसे उत्तर दे।

मैं कभी नहीं भूलुंगा कि अन्तेष्टी के बाद कैसे मेरे पिता और मां रोये थे। मैं वापस पश्चिम में चले जाना चाहता था, परन्तु मां ने इतना आग्रह किया कि मैं घर पर ही रहूं, अन्त में मैं सहमत हो गया कि रह जाऊंगा, यदि मुझे काम मिल सकेगा। जल्द ही मुझे इन्डियाना में पब्लिक सर्विस कम्पनी में नौकरी मिल गई।

लगभग दो वर्षों बाद, जब मैं मीटर सुधारने की जगह मीटरो की जांच कर रहा था। वहीं न्यू अल्बनी में मुझे गैस चढ गई और हफ्तो, मैं उससे पीडीत रहा। जितने डाक्टरों को मैं जानता था सबके पास गया, मुझे कोई आराम नहीं मिला। मुझे पेट में एसीडिटी की शिकायत हो गई, यह गैस के प्रभाव से मुझे हुआ। सारे समय यह बिगड़ता ही चला गया, मुझे, लुईसविल इन्डियाना, एक विशेषज्ञ के पास ले जाया गया, अन्त में उन्होंने कहा यह मेरी अपेन्डिक्स थी और कहा, मेरा ऑपरेशन होना है। मैंने इसका विश्‍वास नहीं किया, क्योंकि मुझे कभी भी एक ओर दर्द नहीं हुआ। डॉक्टर ने कहा, जब तक हम ऑपरेशन ना कर लेगे। कुछ नहीं कर सकते। अन्त में मैं सहमत हो गया कि कर लो, परन्तु इस बात पर जोर दिया, वे मुझे लोकल सुन करने की दवा देंगे, ताकि मैं ऑपरेशन देख सकू।

ओह, मैं चाहता था कि कोई मेरे बराबर में खड़ा हो जो परमेश्‍वर को जानता हो। मैंने प्रार्थना में विश्‍वास किया था, परन्तु प्रार्थना कर नहीं सकता था। इसलिए एक सेवक पहले बैपटिस्ट चर्च से मेरे साथ ऑपरेशन के कमरे में गया।

जब उन्होंने मुझे टेबल पर से बिस्तर पर लिटाया, मैं अपने आप में बहुत कमजोरी महसूस कर रहा था। मैं अपने में और कमजोर और कमजोर अनुभव कर रहा था। सारे समय कमजोरी में मेरा हृदय धीमी गति से धड़क रहा था। मुझे अपने ऊपर मृत्यु का अनुभव हो रहा था। लगातार मेरी सांसे छोटी होती जा रही थी। मैं समझ गया कि मैं अपने जीवन के अन्तिम छोर पर आ गया हूं। और मित्र जब तक आप वहां एक बार नहीं पहुंच जाते, प्रतीक्षा करे, तब आप बहुत सी बातें याद करेगे जो आपने की हैं। मैं जानता था कि मैंने कभी धूम्रपान नहीं किया ना शराब या कोई गन्दी आदत, परन्तु मैं जानता था कि मैं परमेश्‍वर से मिलने के लिए तैयार नहीं हूं।

मेरे मित्र, यदि आप केवल ठंडी गुनगुनी कलीसिया के सदस्य है, आप जान जायेगे, जब आप अन्त में पहुंचते हैं, कि आप तैयार नहीं हैं। इसलिए यदि आप कुल मिला कर मेरे परमेश्‍वर के विषय में जानते हैं तो मैं आप से कहता हूं कि आप ठीक यहीं अपने घुटने टेक ले और यीशु से नये जन्म के अनुभव को मांगे, कि आपको दे, जैसा कि उसने निकोदीमस को यूहन्ना के तीसरे अध्याय में बताया और ओह! कैसी आनन्द की घंटियां बजेगी। उसके नाम की महिमा हो।